Monday 23 November 2015

बच्चों की कोमल त्वचा के लिए कुछ नुस्ख़े!

घर मे नए मेहमान के आने की खबर मन को गुदगुदा जाती है। कल्पना मेँ बेबी के नाजुक से पैर, गुलाबी सी त्वचा, छोटी छोटी उँगलियाँ सब घूम जाता है तभी एक डर भी मन मे घर कर जाता है कि मैं अपने बच्चे की देखभाल कर भी पाऊँगी या नहीं। लेकिन जब मैं किसी को इस तरह की परेशानी मे देखती हूँ तो अपनी जिंदगी के कुछ अनुभव उनके साथ जरूर शेयर करती हूँ।

नन्हे बच्चे की मासूम गुलाबी स्किन की देखभाल सबसे ज्यादा जरूरी होती है तो सबसे पहले हमे उसके सोप, क्रीम, शैम्पू आदि पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। ये सब चीज़ें केमिकल्स रहित हो तथा इनसे बच्चे को किसी भी तरह से एलर्जी न हो इस बात का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। जिससे की यदि गलती से झाग बच्चे की आँख मे चली भी जाये तो बच्चो को जलन न हो।

बच्चे को नहलाने के लिए हमेशा गुनगुना पानी ही प्रयोग में लाना चाहिए। बच्चे को पानी के संपर्क में लाने से पहले ये भली प्रकार चैक कर ले कि पानी ना तो ज्यादा ठंडा हो ना ही ज्यादा गर्म। ज्यादा ठन्डे पानी से बच्चे को ठण्ड लगने का डर रहता है तथा ज्यादा गर्म पानी से जलने का खतरा भी हो सकता है तथा गर्म पानी से स्किन की नमी भी कम हो सकती है। 

बच्चो को नहलाने के बाद सदेव मुलायम तोलिये से पोंछना चाहिए क्योंकि बच्चों की स्किन बहुत नाज़ुक होती है। कड़े तोलिये का प्रयोग उनकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है इसके लिए पहले थोड़ा प्रयोग किया हुआ टॉवल भी सॉफ्ट रहता है।

बच्चों को नहलाने के बाद बेबी लोशन या मॉइश्चराइसिंग क्रीम का प्रयोग करना चाहिए ताकि सर्दियों में बच्चा ड्राइनेस से बच सके तथा कम्फ़र्टेबल फील कर सके। यदि बच्चे को कोई क्रीम या लोशन सूट न करे तो बेबी आयल से भी मालिश की जा सकती है। उस समय थोड़ा सा बेबी पाउडर भी सॉफ्ट पार्ट्स पर जरूर डाल देना चाहिए।

बच्चों को सबसे ज्यादा इर्रिटेशन गीले रहने पर होती है। पुराने समय में जब डाइपर्स नहीं होते थे तब जेंट्स के पुराने कुर्ते में से बच्चों की नैप्पी बनाई जाती थी। लेकिन तब भी बच्चे थोड़े समय में ही उसे गीला कर देते थे और बार बार बदलना पड़ता था जिससे बच्चे साउंड स्लीप नही ले पाते थे इस वजह से बच्चे और माँ दोनों परेशान रहते थे। लेकिन अब पंपेर्स प्रीमियम केयर पैंटीज तथा अन्य कई कम्पनीज की डाइपर्स मार्किट में उपलब्ध है जिससे बच्चे सूखा फील करते हैं तथा आराम से पूरी नींद ले पाते है। ज्यादा देर के लिए बाहर जाने पर भी डाइपर्स का प्रयोग एक अच्छा ऑप्शन है इससे सभी कम्फर्टेबल फील करते है। एक बात यहाँ भी ध्यान देने वाली है की बच्चोँ के डाइपर्स टाइम टू टाइम बदलते रहना चाहिए ताकि बच्चों को नैप्पी रेशेस न हो जाये और वो हँसते मुस्कुराते रहें।



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