Thursday 21 April 2016

दिल्ली का ऑड-इवन..!


सुबह सुबह डोरबेल बजते ही दिमाग दौड़ना शुरू कर देता है कि इस समय कौन आया होगा, स्कूल जाने का समय बिल्कुल बस निकलने ही लगी थी। "सुनो, जल्दी करो। मुझे देर हो रही है, आप आ कर अपना बैग सेट करना। पहले मुझे छोड़ दो।" "इस समय कौन होगा," बोलते हुए दरवाजा खोला तो देखा सामने मिसेज शर्मा खड़ी थी। हाथ में पर्स लिए, मुस्कुरा कर बोलीं, "मिसेज खन्ना, आप निकल रही है? मुझे कोई सवारी नहीं मिल रही। ऑड इवन के चक़्कर मे आज ये गाड़ी नहीं चला सकते। प्लीज, क्या मैं आपके साथ चल सकती हूँ?" "हाँ हाँ! क्यों नहीं! में भी बस निकल ही रही हूँ।" थैंक्स कह कर मिसेज शर्मा जल्दी से बैठ गई और हम स्कूल की तरफ चल पड़े।

       रास्ते में मैं यही सोचती रही कि जब पिछली बार ऑड इवन स्कीम आई थी तो मैंने कोशिश की थी कि हमारे ब्लॉक की चार लोग एक ही तरफ जाते है और सबकी गाड़ियाँ सेम टाइम होने के कारण आगे पीछे ही चलती है तो हम सब क्यों न एक साथ बारी बारी से एक ही कार में चलें। यही सोच कर मैं सबसे पहले मिसेज शर्मा के पास बात करने गयी थी क्योंकि बाकी दोनों उन्ही के स्कूल की थी तो बात बन सकती है। पर मिसेज शर्मा का जवाब बड़ा अजीब सा था - "सुबह सुबह कोर्डिनेट करना बड़ा मुश्किल है और दूसरों के लिए रुक कर वेट करो मेरे हस्बैंड ये सब लाइक नहीं करते ,वैसे भी हमारे पास तो ऑड इवन दोनों नंबर की कार है। मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है। आप उन दोनों से बात कर लीजिए।" मैने भी सोचा - छोडो, मुझे क्या पड़ी है।

       "कल आप मेरे साथ चल लीजिएगा कल तो ओड नंबर कार चलेगी तो हस्बैंड छोड़ देंगे।" "नहीं नहीं कोई बात नहीं आप परेशान न हो मुझे तो ये छोड़ ही देते है, बेटे की गाड़ी का नंबर ऑड है।" "नहीं वो बात नहीं असल में हमने अपनी इवन नंबर वाली कार बेच दी, पुरानी हो गई थी। हमे क्या पता था की दिल्ली मे फिर से ये स्कीम लागू हो जाएगी। मुझे तो परसो फिर शामे दिक्कत का सामना करना पड़ेगा, इसीलिए कह रही हूँ की पूलिंग कर लेते हैं मैं उन दोनों से भी बात कर लूँगी।" "देख लीजिए, आपकी मर्जी।", कह कर मेने बात खत्म कर दी। उनको उनके स्कूल के गेट पर उतार कर इन्होने मुझे स्कूल छोड़ दिया।

       मैं मन ही मन सीएम साहेब का शुक्रिया कर रही थी कि कम से कम ऑड इवन के बहाने ही सही लोगो मे इस बात की जागरूकता तो आई कि एक ही जगह एक ही समय आने जाने के लिए हम कार पूलिंग तो कर सकते हैं। इससे पेट्रोल की बचत, पोलुशन में कमी, सबसे बड़ा फायदा ये की पतिदेव को कुछ दिन तो छोडने लाने की ड्यूटी से आज़ादी मिल जाएगी। अब हम सब हर दिन एक कार में स्कूल जाती है। साथ जाने से बातचीत से पता चला कि अच्छे लोग हैं वो भी और तो और शाम को पार्क में सैर करने भी अब हम सब एकसाथ जाती हैं। एक कमी जो हमेशा लगती थी की मेरी कोई फ्रेंड नहीं है वो भी ख़त्म हो गई। 

शुक्रिया ईश्वर!

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