Monday, 31 August 2015

शुक्रिया


आज स्कूल  से घर आकर टीवी चलाया तो ज़िंदगी चैनल पर शुक्रिया प्रोग्राम आ रहा था।  प्रोग्राम मे एक पोती अपने दादा और दादी का शुक्रिया करते हुए "फलेश-मॊब" एक्ट करती है। उसके अनुसार उसके दादा और दादी ने उसे जीवन में कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी इसलिए वो उनका शुक्रिया कर रही है।

मुझे उसी पल यह एहसास हुआ कि मुझे भी अपनी जिंदगी में इस मुकाम पर लाने वाले मेरे पति का मैंने कभी शुक्रिया नहीं किया। मैं  आज  याद करती हूँ ३२ साल पहले १९ वर्ष की उम्र में जब पढ़ाई करते-करते ही मम्मी -डैडी ने विवाह करके रुखसत कर दिया था, उस वक्त मेरा हाथ थामा मेरे पति ने। नया घर, नए लोग, सब कुछ नया  - ना अपने घर जैसा माहौल, ना खानपान - सब कुछ बदला बदला सा था।

ऐसे समय में इन्होने अपने परिवार के नियम-रिवाज़ सबसे मेरा परिचय करवाया। कभी यह एहसास ही नही होने दिया कि मैं इस घर में नई हूँ। मेरे परिवार को अपना परिवार मान कर हर काम हर अवसर पर मदद की। इन्होने कभी मुझे किसी चीज़ के लिए नही रोका बल्कि आगे बढ़ कर मेरी मदद की।  मेरी पढाई पूरी करवाई  बी० एड ० करवाया तथा मेरे जैसी अंतर्मुखी , सकुचाई सी लड़की को टीचर्स रिक्रूटमेंट एग्जाम दिलवा कर जॉब में लगवाया एवं आत्मनिर्भर बनाया। किस मौके पर हमें  किस तरह से पेश आना है, किसी मुश्किल परिस्थिति पर कैसे रिएक्ट करना है सब मैंने अपने पति से सीखा।

मेरे व्यक्तित्व का जो भी पहलु आज सबके सामने है, सब इनकी ही देन है। आपके हर सपोर्ट के लिए आपका  बहुत बहुत शुक्रिया खन्ना साहिब।                                                                                  

Friday, 28 August 2015

वक़्त की कीमत


 सारा दिन बिस्तर पर बैठे रहो कुछ न करना हो सोच कर बड़ा मज़ा आता है ना । पर मेरा यकीन मानिये कि अगर आपको जबरदस्ती बेड पर बिठा दिया जाये कि आपको कुछ नही करना सिर्फ रेस्ट करना है ऐसा लगता है किसी ने सज़ा देदी है। बिल्कुल ऐसा आजकल मेरे साथ चल रहा है।

 दो दिन पहले क्लास लेने जाने की जल्दी में टेबल से पैर टकरा गया ऐसा लगा कि  पूरा स्टाफ रूम गोल गोल घूम गया उस समय तो क्लास की टेंशन में सीढियाँ चढ़ती हुई ऊपर चली भी गयी। बाद वाली भी सारी  क्लासेज लेकर घर आने तक ये एहसास तो था कि पैर में थोड़ा सा दर्द है पर घर आकर जब आराम करने को मिला तो लगा कि  दर्द नार्मल से थोड़ा ज्यादा है।  शाम तक तो पैर सूज भी गया और दर्द भी बढ़ गया तो समझ आ गया की कुछ गड़बड़ हो गयी। इनके ऑफिस से घर आने पर बताने पर जो कुछ डांट पड़ने वाली है उसके बारे में सोच कर ही डर लग रहा था। वही हुआ तुम देख कर क्यों नही चल सकती हर समय जल्दी तुम्हे ही क्यों होती होती है अब भुगतो थोड़ा ध्यान से काम कर लो तो क्या बिगड़ जाता हे तुम्हारा ……। सर झुकाये अपराधी बच्चे की तरह डाँट सुन रही थी। जब ये शांत हुए तो अब चलें डॉक्टर के पास पूछा तो ये गुस्से में गाड़ी की चाबी ले कर बाहर निकल गए।

एक्सरे से ऊँगली मै  हेयर लाइन फ्रैक्चर कन्फर्म हुआ तो डाक्टर साहेब ने कहा प्लास्टर नही हो सकता। बैंडेज बांध दी साथ ही हिदायत दी कि  ५ दिन टोटल बेडरेस्ट पैर को लटकाना नही है। बस साहेब जी वो छोटी सी मेरी बेटी जो पानी का गिलास भर कर भी खुद नही पी सकती थी एकदम मेरा रूप धारण करके "बैठ जाओ, उठना नही। आपके बिना भी सब काम हो सकता है,बस आराम करो" आदि आदि बोल कर काम पर लग गयी। मन एकदम भर आया कि हम यही सोचते रहते है कि हमारी परवाह किसे है पर यहां तो नज़ारा ही अलग था दोनों पापा और बेटी खाना बनाना पानी भरना दूध लाना सारे  काम ऐसे कर रहे थे कि कहीं मैं किसी काम के लिए उठ न जाऊँ।

थोड़ी देर तक तो अच्छा लगा फिर थोड़ा सा उठ कर कुछ करने की कोशिश पर दोनों का झिड़क देना बैठी रहो रहो सजा जैसा लगने लगा।  ऐसा लगा कितनी मजबूर हो गयी हूँ  मैं। सारा दिन बिस्तर पर बैठी बस यही सोच रही हूँ  कि  भाई हम तो काम करते हुए ही भले। ईश्वर अगली बार ये ध्यान रखना की मुझे बैठे रहने से बहुत नफरत है प्लीज मेरे लिए ये सजा न मुकर्रर की जाये। मैं तो दौड़ते भागते शोर मचाते जल्दी जल्दी करो "ये क्या है, वो क्या है" अपनी टैग लाइन्स के साथ जीना चाहती हूँ। 

Monday, 24 August 2015

जिंदगी के फंडे


जो  कुछ  भी  हमारे  पास  हो  वो  सदा  कम ही लगता  हैं।   नंगे  पाॅव चलने वाला चप्पल की आस करता है , चप्पल जिसके पास है वो साइकिल होती तो मजे हो जाते , साइकिल पा जाने पर मोपेड या मोटर साइकिल की आस करने लगता है।  मोटर साइकिल मिलने पर कार की तमन्ना जोर पकड़ने  लगती है अर्थात मनुष्य हमेशा जो कुछ भी उसके पास है वो कम है दूसरे के पास ज्यादा है से ही दुःखी रहते  हैं ।

जिंदगी में अगर कुछ गलत हो सकता है तो वो जरूर होगा  यानि कहीं ये न हो जाये हमारे मन में जो विचार आ जाता है वही अक्सर होता है। 

मौन  रह कर अक्सर बडी बहस जीती जा सकती है। 

वाणी में  बड़ी शक्ति होती है कड़वा बोलने वाला अपना शहद  नही बेचपाता और मीठा बोलने वाला मिर्ची भी बेच जाता  है। 

संघर्ष व चुनौतियां इंसान को प्रखर एवं मजबूत बनाती है उसकी प्रतिभा को निखारती  है। 

ईश्वर ने कोई मुश्किल ऐसी नही बनाई जिसका हल न बनाया हो बिलकुल ऐसे जैसे कोई ताला  नही बनता चाबी के बिना।  

मुस्करा कर सारा जहाँ जीता जा सकता है ये वो मेकअप है जो बिना पैसे खर्च किये आपकी फेसवेल्यु बड़ा देती है।  

ईश्वर उनकी मदद करता है जो खुद अपनी मदद करना चाहते है। 

अपनी जरूरतों के लिए आवाज़ उठानी पड़ती है बिना रोये तो माँ भी दूध नही देती।  

जिंदगी एक फलसफा है दोस्तों गर समझ आ गया तो जीत वरना हार का सिलसिला है दोस्तों।