Friday, 28 August 2015

वक़्त की कीमत


 सारा दिन बिस्तर पर बैठे रहो कुछ न करना हो सोच कर बड़ा मज़ा आता है ना । पर मेरा यकीन मानिये कि अगर आपको जबरदस्ती बेड पर बिठा दिया जाये कि आपको कुछ नही करना सिर्फ रेस्ट करना है ऐसा लगता है किसी ने सज़ा देदी है। बिल्कुल ऐसा आजकल मेरे साथ चल रहा है।

 दो दिन पहले क्लास लेने जाने की जल्दी में टेबल से पैर टकरा गया ऐसा लगा कि  पूरा स्टाफ रूम गोल गोल घूम गया उस समय तो क्लास की टेंशन में सीढियाँ चढ़ती हुई ऊपर चली भी गयी। बाद वाली भी सारी  क्लासेज लेकर घर आने तक ये एहसास तो था कि पैर में थोड़ा सा दर्द है पर घर आकर जब आराम करने को मिला तो लगा कि  दर्द नार्मल से थोड़ा ज्यादा है।  शाम तक तो पैर सूज भी गया और दर्द भी बढ़ गया तो समझ आ गया की कुछ गड़बड़ हो गयी। इनके ऑफिस से घर आने पर बताने पर जो कुछ डांट पड़ने वाली है उसके बारे में सोच कर ही डर लग रहा था। वही हुआ तुम देख कर क्यों नही चल सकती हर समय जल्दी तुम्हे ही क्यों होती होती है अब भुगतो थोड़ा ध्यान से काम कर लो तो क्या बिगड़ जाता हे तुम्हारा ……। सर झुकाये अपराधी बच्चे की तरह डाँट सुन रही थी। जब ये शांत हुए तो अब चलें डॉक्टर के पास पूछा तो ये गुस्से में गाड़ी की चाबी ले कर बाहर निकल गए।

एक्सरे से ऊँगली मै  हेयर लाइन फ्रैक्चर कन्फर्म हुआ तो डाक्टर साहेब ने कहा प्लास्टर नही हो सकता। बैंडेज बांध दी साथ ही हिदायत दी कि  ५ दिन टोटल बेडरेस्ट पैर को लटकाना नही है। बस साहेब जी वो छोटी सी मेरी बेटी जो पानी का गिलास भर कर भी खुद नही पी सकती थी एकदम मेरा रूप धारण करके "बैठ जाओ, उठना नही। आपके बिना भी सब काम हो सकता है,बस आराम करो" आदि आदि बोल कर काम पर लग गयी। मन एकदम भर आया कि हम यही सोचते रहते है कि हमारी परवाह किसे है पर यहां तो नज़ारा ही अलग था दोनों पापा और बेटी खाना बनाना पानी भरना दूध लाना सारे  काम ऐसे कर रहे थे कि कहीं मैं किसी काम के लिए उठ न जाऊँ।

थोड़ी देर तक तो अच्छा लगा फिर थोड़ा सा उठ कर कुछ करने की कोशिश पर दोनों का झिड़क देना बैठी रहो रहो सजा जैसा लगने लगा।  ऐसा लगा कितनी मजबूर हो गयी हूँ  मैं। सारा दिन बिस्तर पर बैठी बस यही सोच रही हूँ  कि  भाई हम तो काम करते हुए ही भले। ईश्वर अगली बार ये ध्यान रखना की मुझे बैठे रहने से बहुत नफरत है प्लीज मेरे लिए ये सजा न मुकर्रर की जाये। मैं तो दौड़ते भागते शोर मचाते जल्दी जल्दी करो "ये क्या है, वो क्या है" अपनी टैग लाइन्स के साथ जीना चाहती हूँ। 

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